छत्‍तीसगढ़ राज्‍य का नाम छत्‍तीसगढ़ क्‍यों पड़ा ?

छत्‍तीसगढ़ का इतिहास अत्‍यंत गौरवशाली है। जैसे-जैसे छत्‍तीसगढ़ विकास का शिखर की ओर बढ़ रहा है, वैसे ही इस राज्‍य की इतिहास की जिज्ञासाएं देश और दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। 01 नवम्‍बर 2000 को अपनी मातृराज्‍य मध्‍यप्रदेश से अलग होकर छत्‍तीसगढ़ देश का 26 वां राज्‍य बना। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने से पहले ही इस अंचल का नाम छत्‍तीसगढ़ हो गया था। छत्‍तीसगढ़ अंचल का नाम छत्‍तीसगढ़ क्‍यों पड़ा इस संबंध में विभिन्‍न विद्वानों ने भिन्‍न भिन्‍न मत दिए हैं :-

ब्रिटिश इतिहासकार जे.बी. बेगलर के अनुसार इस क्षेत्र का वास्‍तविक नाम छत्‍तीस घर था न कि छत्‍तीसगढ़। जरासंध ने राज्‍य क्षेत्र के दक्षिण की ओर 36 दलित परिवारों ने जिस क्षेत्र को बसाया, उस क्षेत्र को छत्‍तीस घर कहा गया। जो बाद में
विकृत होकर छत्‍तीसगढ़ हो गया।
Chhattisgarh
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ए.ई.नेल्‍शन ने चेदि वंश की शाखा का राज्‍य क्षेत्र होने के कारण इसे चेदिश वंशीय क्षेत्र और बाद में बिगड़कर छत्‍तीसगढ़ नाम होना बताया गया है। डॉ. रायबहादुर हीरालाल भी छत्‍तीसगढ़ को चेदिसगढ़ अपभ्रंश मानते हैं, परन्‍तु उनहोने चेदिसगढ़ से छत्‍तीसगढ़ बनने का कोई वैज्ञानिक तथ्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया। अनेक इतिहासकारों के अनुसार छत्‍तीसगढ़ चेदिसगढ़ अर्थात चेदियों का राजनैतिक केन्‍द्र से बिगड़कर बना है।
एक अन्‍य तर्क के अनुसार रतनपुर नगर में 36 क्षत्रीय कुलों ने राज किया जिसका उल्‍लेख रतनपुर के कवि गोपाल मिश्र ने अपनी रचना खूब तमाशा में रतनपुर राज्‍य के लिए छत्‍तीसगढ़ शब्‍द का प्रयोग किया है। बाबू रेवाराम ने 1896 ई. में विक्रम विलास नामक ग्रंथ में रतनपुर राज्‍य के लिए छत्‍तीसगढ़ की संज्ञा दी।
डालमी के अनुसार इसका प्राचीन नाम अधिष्‍ठी था, जो अधिष्‍ठान पर्वत के दक्षिण में स्थित था। जनरल कनिंघम ने छत्‍तीसगढ़ की व्‍युत्‍पत्ति ''अधिश्‍ठी'' या ''अधिश्‍ठात्री गढ़'' से की है। इसका विकृत रूप बाद में अधिष से छत्‍तीस हो गया और यह क्षेत्र छत्‍तीसगढ़ कहलाया।
अधिकांश इतिहासकारों का मत है कल्‍चुरी व हैहयवंशी राजपूत सम्राज्‍य के समय इस क्षेत्र में 36 गढ़ / किले / दुर्ग थे। शिवनाथ नदी के उत्‍तर में कल्‍चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ तथा दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ स्थित थे। इन 36 गढ़ों के कारण इस क्षेत्र का नाम छत्‍तीसगढ़ हो गया।
रतनपुर राज्‍य के अधीनस्‍थ 18 गढ़ :- रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्‍दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़, उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया। 
रायपुर के अधीनस्‍थ 18 गढ़ :- रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्‍वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्‍लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़।

अठारहवी शताब्‍दी के मध्‍य तक इसका नाम छत्‍तीसगढ़ प्र‍चलित हो चुका था। शासकीय आधार पर इस नाम का प्रस्‍ताव कैण्‍टन ब्‍लण्‍ड ने अधिकारिक रूप से 1795 ई. में बिलासपुर गजेटियर में किया। जिसे नागपुर दबार में पदस्‍थ ब्रिटिश रेजीडेण्‍ट जेनकिंस ने ''जमींदार्स आफ छत्‍तीसगढ़'' लिखना आरम्‍भ कर दिया। आगे चलकर यह क्षेत्र ''छत्‍तीसगढ'' नाम से लोकप्रिय हो गया। 
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