छत्तीसगढ़ के एडवेंचर और पिकनिक स्पाट
छत्तीसगढ अपनी प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। छत्तीसगढ़ का अधिकांश हरे भरे वनों से भरा हुआ है। यहां हरे भरे पहाड़ एवं वादियां हैं। यहां कहीं कल-कल करते झरने हैं, तो कहीं स्वच्छंद रूप से विचरण करते वन्य प्राणी है। पक्षियों की चहचाहट को मन को प्रसन्न कर देती है। ये स्थान हैं छत्तीसगढ का शिमला मैनपाट और जीव अभारण्य बारनवापारा। ये खूबसुरत जगह पर्यटकों एवं सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खिंचती है। ये स्थान एडवेंचर एवं पिकनिक के लिए सर्वोत्तम जगह है।
बारनवापारा (वन्य जीव अभारणय )
बारनवपारा एक वन्य जीव अभारण्य है, जो कि
छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदा बाजार जिले में स्थित है। इस अभारण्य का नाम इस
अभारण्य के मध्य में स्थित दो वन्य ग्राम बार और नवापारा के नाम पर पड़ा। यह
अभारण्य 1976 में असतित्व में आया। इस अभारण्य का संपूर्ण् क्षेत्रफल 244.66
वर्ग किलोमीटर है।
यहां सभी वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक
निवास में स्वच्छंद
रूप से घूमते हुए देखा जा सकता है। इस अभारण्य में तेंदुए, बाघ, गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, हिरण, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, लोमड़ी, लकड़बग्घा आदि वन्य जीव बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। यहां हिरणों की संख्या सर्वाधिक है। वन सौगोन के वृक्षों से आच्छादित है। ये अभारण्य पर्यटकों एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत बढि़या स्थान है । यहां पर्यटकों के लिए विश्राम गृह की स्थापना की गई है। यहां देवधारा नाम का जलप्रपात भी है।
रूप से घूमते हुए देखा जा सकता है। इस अभारण्य में तेंदुए, बाघ, गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, हिरण, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, लोमड़ी, लकड़बग्घा आदि वन्य जीव बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। यहां हिरणों की संख्या सर्वाधिक है। वन सौगोन के वृक्षों से आच्छादित है। ये अभारण्य पर्यटकों एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत बढि़या स्थान है । यहां पर्यटकों के लिए विश्राम गृह की स्थापना की गई है। यहां देवधारा नाम का जलप्रपात भी है।
यहां
अनेक प्रकार के पक्षियों का निवास स्थान है। इस अभारण्य में 150 से भी ज्यादा
प्रजाति पक्षी पाये जाते हैं, इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। इनमें प्रमुख रूप
से मोर, दूधराज, गोल्डन अरियर, तोते, डैगो, राबिन पाई, कडफोड़वा, बुलबुल, उल्लू,
हुदहुद इत्यादि है। इस अभारण्य में सागौन, साल तथा मिश्रित प्रजाति के घने वन हैं।
यहां पाये जाने वृक्षों में प्रमुख रूप से सागौन, शीशम, बीजा, तेंदू, सेमहा,
तिनसा, कर्रा, धवड़ा, हल्दू, साजा, कहुआ, आंवला, बांस, कसुम हैं। इसके अतिरिक्त
यहां और भी कई प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं। महानदी की सहायक नदी बालदेही
नदी इस अभारण्य की पश्चिमी सीमा एवं जोक नदी उत्तर पूर्वी दिशा में सीमा का
निर्धारण करती है। यहां मानव निर्मित कई जलाशय भी हैं। यहां तुरतुरिया झरना एवं कई
जलप्रपात है।
मैंनपाट (छत्तीसगढ़ का शिमला)
मैनपाट,
सरगुजा जिला में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित है। यह एक पठारी क्षेत्र है जो 25 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ
है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है। समुद्र तल से इस जगह की
उंचाई 4000 फीट है। यहां तिब्बती शरणार्थी निवास करते हैं। यहां बौध्द मठ
स्थिापित है, जो दर्शनीय है। यहां तिब्बतीय शरणार्थियों को बसाया गया है, इस कारण
से इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है।
यहां
के दर्शनीय स्थलों में प्रमुख रूप से सरभंजा जलप्रपात है। इस जलप्रपात की उंचाई
150 फीट है। यह प्रपात पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। यहां की मतिरिंगा की
पहाड़ी से रिहन्द नदी का उदमग हुआ है। यहां टाईगर प्वाईंट जलप्रपात भी है। यह स्थान
उन एवं चमड़े का सामान मिलने के लिए जाना जाता है। इस स्थान पर आलू की खेती की
जाती है। यह स्थान पामेरियन कुत्तों के लिए भी प्रसिध्द है।