विभिन्न सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं उनकी जन्म स्थली
छत्तीसगढ़ विभिन्न सम्प्रदाय के प्रवर्तकों की जन्म स्थली है। यहां वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक वल्लभाचार्य का जन्म स्थान चम्पारण है तथा सतनाम समाज के संस्थापक बाबा गुरू घासीदास जी की जन्म स्थली एवं तपोभूमि गिरौदपुरी है। यहीं पर कबीर पंथियों का तीर्थ स्थल दामाखेड़ा है। ये सभी स्थान इन सम्प्रदाय के लोगों के लिए तीर्थ स्थल की तरह है। आइए इन सभी स्थानों के बारे में जानें।
विभिन्न सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं उनकी जन्म स्थली के बारे में जानें-
चम्पारण ( वल्लभाचार्य की जन्म स्थली )
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चम्पारण ( वल्लभाचार्य की जन्म स्थली ) |
चम्पारण गरियाबंद जिले में
स्थित है। यह राजिम से 14 किलोमीटर की दूरी पर तथा रायपुर से 60 किलोमीटर की दूरी
पर स्थित है। चम्पारण वैष्णव सम्प्रदाय के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य की
जन्म स्थिली है। चम्पारण का नाम चम्पकेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा। यहां वनों
के बीच में चम्पकेश्वर महादेव की बहुत ही प्राचीन मंदिर है। चम्पारण में पुष्टि
मार्ग के अनुयायियों का धर्मस्थली है। यह स्थान शैव तीर्थ एवं वैष्णव तीर्थ
दोनों के रूप में प्रसिध्द है। इस मंदिर के शिवलिंग में उपर की ओर दो रेखाएं उत्कीर्ण
है, जो इस शिवलिंग को तीन भाग में विभाजित करता है। उपर के भाग में गणेश जी छवि
उत्कीर्ण है, नीचे के भाग में पार्वती की छवि उत्कीर्ण है तथा मध्य के भाग में
भगवान शिव जी छवि उत्कीर्ण है। यहां स्त्रियों को बाल खोलना प्रतिबंधित है। इस स्थान
की खोज गोस्वामी नरसिंह लाल जी महाराज, नथमल आचार्य, रायपुर के रायसाहब ने की है।
यहां पास में महानदी का एक शाखा जिसका नाम जमानिया नाला है, जिसे भक्त लोग यमुना
का रूप मानते हैं। यहां प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा के दिन मेला लगता है।
गिरौदपुरी (घासीदास जी की जन्मस्थिली)
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गिरौदपुरी (घासीदास जी की जन्मस्थिली) |
गिरौदपुरी बलौदाबाजार जिले में स्थित है। यह स्थान सतनाम समाज
के संस्थापक बाबा गुरू घासीदास जी की जन्मस्थली है। यहां बहुत उंचा जैतखांभ भी
है। यह सतनामी समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
गुरू घासीदास जी का जन्म 18 दिसम्बर सन
1756 ई. में हुआ था। गिरौदपुरी में गुरू घासीदास जी का निवास स्थान को गुरू निवास
कहा जाता है। यहां गुरू घासीदास जी की गददी स्थापित है। गिरौदपुरी के पास की पहाड़ी
पर घोरा वृक्ष के नीचे गुरू घासदास जी ने तपस्या कर ज्ञान प्राप्त किया था। इस
स्थल को तपोभूमि कहा जाता है। तपोभूमि के पास ही छाता पहाड़ स्थित है, जहां गुरू
घासीदास जी ने समाधि ली थी। इसी के निकट गुरू घासीदास जी की पत्नि सुफरा जी का मठ
है। यहां उनकी पत्नी ने अपने पुत्र अमरदास के खो जाने के वियोग में यहां समाधि ली
थी।
यहां के दर्शनीय स्थलों में गुरू घासीदास
जी का निवास स्थान, छाता पहाड़, चरण कुण्ड, अमृत कुण्ड, आदि प्रमुख है। यहां भी
मेले भराने की परम्परा है। यहां हर साल फाल्गुन मास की पंचमी से लेकर सप्तमी तक
मेला लगता है।
दामाखेडा (कबीर पंथियों का तीर्थ स्थल)

दामाखेड़ा (कबीर पंथियों का तीर्थ स्थल )

दामाखेड़ा बालोदाबाजार जिले में स्थित है,
जो बालोदाबाजार तहसील के अंतर्गत आता है। यह ग्राम रायपुर से हेाते हुए सिमगा
मार्ग में स्थित है। यह रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर तथा सिमगा से 8
किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान कबीर पंथियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
यहां कबीर मठ स्थापित है जिसकी स्थापना कबीर पंथ के बारहवें गुरू उग्रनाम साहेब
ने की थी। मुक्तिमणि नाम सहेब कबीर पंथ के प्रथम गुरू हैं। यहां के प्रमुख दर्शनीय
स्थलों में कबीर आश्रम एवं समाधि प्रमुख हैं।