छत्तीसगढ का मडई मेला
छत्तीसगढ में विभिन्न
अवसरों में मडई मेला भराने की परंपरा रही है। ये मेले जहां हमारे जीवन में नई
चेतना का संचार करते हैं वहीं सामाजिक ज्ञान का बोध भी कराते हैं तथा भाई-चारा
बढाने में मददगार होते है। छत्तीसगढ में मडई मुख्यत: दीपावली के पश्चात प्रारंभ
होता है, वहीं मेले मुख्यत: फरवरी माह में होते हैं। इनमें कुछ प्रमुख मेलें हैं
:-
राजिम का मेला
राजिम का मेला राजिम कुंभ मेला के नाम से
जाना जाता है। राजिम छत्तीसगढ का प्रयाग तथा महातीर्थ है। राजिम पैरी नदी, सौंढूर
नदी एवं महानदी के संगम पर स्थित है, जो छत्तीसगढ के गरियाबंद जिले में स्थित
है। यहां पर राजीव लोचन एवं शिव जी की
प्रसिध्द मंदिर है जो पैरी, सौंढूर और महानदी के संगम के बीचों बीच स्थित है।
राजीव लोचन मंदिर के पार्श्व भित्त पर कल्चुरी वंश के 896 वां शिलालेख है, जो इस
मंदिर के बहुत प्राचीन होने का प्रमाण है।
इस
मंदिर का जीर्णोध्दार जगतपाल ने कराया था। इस मंदिर को भारत का पांचवा धाम माना
जाता है। ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब
तक राजिम की यात्रा न कर ली जायेा राजिम में प्रति वर्ष माघी पूर्णिमा से महाशिवरात्रि
तक एक माह का मेला लगता है। इसमें काफी भीड देखी जा सकती है। यहां देश- विदेश से
काफी संख्या में साधु- संत आते हैं। इसे एक तीर्थ के रूप में मान्यता मिली है।
शिवरीनारायण का मेला -
शिवरीनारायण जांजगिर जिले में स्थित
है, जो कि महानदी, शिवनाथ एवं जोंक नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। प्राचीन
मान्यता के अनुसार यहां पर भगवान श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर खाये थे। यहां के
प्रसिध्द मंदिरों में नारायण मंदिर, लखनेश्वर शिव मंदिर, चन्द्रबुध्देश्वर
मंदिर प्रमुख है। शिवरीनारायण मंदिर में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि
तक एक विशाल मेले का आयोजन होता है। इस मेले में लाखों संख्या में श्रध्दालु एवं
तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
मां बम्लेश्वरी का मेला –
मां बम्लेश्वरी का मंदिर
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ की पहाडी पर स्थित है। डोंगरगढ मुम्बई हावडा
रेलमार्ग पर स्थ्ति है। इस मंदिर में दोनों नवरात्रि पर मेला लगता है, जो बम्लेश्वरी
के दर्शन के लिए प्रसिध्द है। छत्तीसगढी बोली में लोग इसे बमलाई दाई के नाम से
पुकारते हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा कामदेव द्वारा की गई थी। इस मंदिर में
लोखों की संख्या में ज्योति कलश स्थातिप की जाती है। इस मंदिर में लाखों की
संख्या में दर्शन के लिए आते हैं। यहां लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पैदल
यात्रा करने आते हैं। यह मंदिर डोंगरगढ की पहाडी की चोटी पर स्थित है, जहां तक
पहुंचने के लिए सीढी एवं लिफ्ट की व्यवस्था की गई है।
रतनपुर का मेला –
रतनपुर छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले
में स्थित है। रतनपुर को छत्तीसगढ की पहली राजधानी बनने का गौरव प्राप्त है।
रतनपुर में महामाया देवी का भव्य मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 11 शताब्दी में
राजा रत्नदेव ने कराया था। इस भव्य मंदिर में नवरात्रि में मेला लगता है। यहां
पर लोखों की संख्या में ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। यहां दूर- दूर से
श्रध्दालू एवं भक्तगण महामाया देवी के दर्शन के लिए आते हैं। यहां
दर्शननार्थियों के लिए महामाया ट्रस्ट की ओर से नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की
जाती है।